प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो | सूरदास | SURDAS | HINDI LITERATURE

प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो | समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार करो || एक लोहा पूजा मे राखत, एक घर बधिक परो | सो दुविधा पारस नहीं देखत, कंचन करत खरो || एक नदिया एक नाल कहावत, मैलो नीर
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