राधे राधे बरसाने वाली राधे [RADHE RADHE BARSANE WALI RADHE] 84 KOS YATRA
84 कोस यात्रा वृंदावन में एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह यात्रा श्री कृष्ण जी की जन्मभूमि मथुरा से शुरू होती है और अपने दौरान वह वृंदावन के मुख्य मंदिरों में जाता है। यह यात्रा अप्रत्यक्ष रूप से भगवान श्री कृष्ण के जीवन की घटनाओं का वर्णन करती है। इस गीत के बोल वृंदावन यात्रा के दौरान गाए जाते हैं और लोग इसे उत्साह और भक्ति से सुनते हैं। यह गीत वृंदावन की प्रसिद्ध यात्रा के अंत में भी गाया जाता है। इस गीत को गाने के दौरान लोग भक्ति भाव से भर जाते हैं और उनके श्रद्धालु होने के लिए यह एक अनुभव होता है। वृंदावन की 84 कोस यात्रा अनुभव करने के लिए लोग दुनिया भर से आते हैं और इस यात्रा में शामिल होने के लिए लोग सालों से इंतजार करते हैं। इस यात्रा के दौरान लोग नहाते हैं, पूजा करते हैं और उन्हें पूजा के दौरान भगवान कृष्ण के भक्ति गीत सुनने का भी मौका मिलता है। इस गीत में यात्रा के दौरान की भक्ति और आस्था का वर्णन किया गया है। इस गीत के अनुसार यात्रा भक्ति और साधना का एक विशेष मार्ग होती है जो हमें भगवान के करीब ले जाता है। वृंदावन की 84 कोस यात्रा अनुभव करने के बाद लोग अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करते हैं। इस यात्रा में हम अपनी आस्था के साथ भगवान के करीब जाते हैं और उनकी कृपा से अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त करते हैं। इस गीत के जरिए लोग वृंदावन की यात्रा के महत्व को समझते हैं और इसे एक धार्मिक उत्सव के रूप में मनाते हैं। यह गीत वृंदावन की यात्रा के साथ-साथ हमारे जीवन में भगवान के प्रति हमारी आस्था को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण उपकरण होता है।