आदिगुरु शंकराचार्य | ADI GURU SHANKARA | “ब्रह्म सत्य है तथा जगत मिथ्या है“ |
आदिगुरु शंकराचार्य | ADI GURU SHANKARA
शंकराचार्य काशी में एक दिन गंगा स्नान के लिए जा रहे थे। मार्ग में एक चांडाल मिला। शंकराचार्य ने उसे मार्ग से हट जाने के लिए कहा। उस चांडाल ने विनम्र भाव से पूछा ’महाराज! आप चांडाल किसे कहते हैं? इस शरीर को या आत्मा को? यदि शरीर को तो वह नश्वर है और जैसा अन्न-जल का आपका शरीर वैसा ही मेरा भी। यदि शरीर के भीतर की आत्मा को, तो वह सबकी एक है, क्योंकि ब्रह्म एक है। शंकराचार्य को उसकी बातों से सत्य का ज्ञान हुआ और उन्होंने उसे धन्यवाद दिया।
इनकी शिक्षा का सार है –
“ब्रह्म सत्य है तथा जगत मिथ्या है” इसी मत का इन्होंने प्रचार किया।
उनका अन्तिम उपदेश था -
“हे मानव! तू स्वयं को पहचान, स्वयं को पहचानने के बाद, तू ईश्वर को पहचान जायेगा।“
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6 months ago 00:10:19 1
आदिगुरु शंकराचार्य | ADI GURU SHANKARA | “ब्रह्म सत्य है तथा जगत मिथ्या है“ |
3 years ago 00:07:18 1
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