हिन्दी वल्लरी | KSEEB | CLASS 9 | CHAPTER 17 | THIRD LANGUAGE | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE

हिन्दी वल्लरी | KSEEB | CLASS 9 | CHAPTER 17 | THIRD LANGUAGE | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | #shorts | #hindi | #india रहीम के दोहे तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पिय हिं न पान। कहि रहीम पर काज हित संपति संचहि सुजान।। जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग।। रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिए डारि। जहाँ काम आवै सुई कहा करै तलवारि।। बड़े बड़ाई न करै, बड़े न बोलें बोल। ‘रहिमन’ हीरा कब कहै, लाख टका मम मोल।।
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