सुब्रह्मण्य भारती
देश के स्वाधीनता संग्राम में जहाँ कुछ देशभक्तों ने अपने तेजस्वी भाषणों, नारों से विदेशी सत्ता का दिल दहलाया, वहीं कुछ ऐसे साहित्यकार भी थे जिन्होंने अपने काव्य-बाणों से विपक्षी को आहत किया। हिंदी में यदि ‘मैथिलीशरण गुप्त‘, ‘सोहनलाल द्विवेदी‘, ‘सुभद्राकुमारी चौहान‘, ‘रामधारी सिंह ‘दिनकर‘ आदि ने अपनी काव्य-रचनाओं से भारतीय नवयुवकों के मन में देश-प्रेम के भाव भरे तो देश की अन्य भाषाओं में भी ऐसे देशभक्त कवि, साहित्यकार हुए जिनकी रचनाओं ने अँग्रेजी राज्य की जड़ें हिला दीं। तमिल भाषा के ऐसे ही कवि थे ‘सुब्रह्मण्य भारती‘।